शैतान की दुनिया # शॉर्ट स्टोरी चैलेंज #हॉरर
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कहानी - शैतान की दुनिया
जॉनर- हॉरर
शैतान की दुनिया
काफी बार आपके साथ भी ऐसा हुआ होगा कि आधी रात को आपकी नींद खुल गई हो और ऐसा लगा हो मानो कोई आपके पास बैठा था, या फिर तुरंत किसी ने आपको जगाया था और आप हड़बड़ाहट में उठ खड़े हुए हों। कभी ना कभी हर किसी के साथ ऐसा होता है। एक छोटा सा नवजात शिशु भी गहरी नींद में सोया हुआ हो और अचानक वह चिल्ला कर रोना शुरू कर दे, तो इसका मतलब भी कहीं हद तक यही है कि उसको भी किसी के वहां होने का अहसास हुआ था।
ऐसा क्यों होता है। इसका एक कारण यह है कि आधी रात को शैतानी दुनिया के लोग पृथ्वी पर घूमते हैं और उनकी शैतानी शक्तियां उस समय चरम सीमा पर होती हैं।
आज मैं आपको अपने साथ बीती एक ऐसी ही घटना बताऊंगा। तब मैं कॉलेज में था और एक होस्टल में रहता था। मेरे साथ उस कमरे में एक और लड़का दीपक रहता था। दीपक और मेरी कोई गहरी दोस्ती नहीं थी। उसका फ्रैंड सर्कल अलग था और मेरा अलग। वह मौज-मस्ती करने वाला लड़का था और मैं पढ़ाई करने वाला।
हमारे कॉलेज के पीछे एक बहुत ऊंची दीवार थी और उस दीवार के पीछे शमशान घाट था। यह हमारी बदकिस्मती कह लो कि हमारा कमरा उस दीवार के बहुत करीब था। वैसे तो दिन में अक्सर हम कमरे में होते ही नहीं थे पर जब शाम को थक कर आते तो एक अजीब सी घुटन महसूस होती थी। उस कमरे को बदलने की बहुत कोशिश करी पर नाकामयाब रहे।
एक रात में बहुत थका हुआ था। बदन बुरी तरह टूट रहा था। कैंटीन जाकर खाना खाने की भी हिम्मत नहीं थी। मैं बिस्तर पर लेटते ही सो गया। करीब 3:00 बजे मेरी आंख झटके से खुली। मुझे ऐसा लगा जैसे कोई मेरे पास बैठा हुआ था और मुझे उठाने का प्रयास कर रहा था। मैं हड़बड़ा कर उठ गया और कमरे में इधर-उधर देखने लगा। पर मुझे कोई भी दिखाई नहीं दिया। मेरा दोस्त आराम से अपने बिस्तर पर सो रहा था। मुझे बहुत अजीब सा महसूस हो रहा था । मैंने फिर लेटने की कोशिश की पर उसके बाद मुझे नींद ही नहीं आई।
सुबह मैंने अपने दोस्त दीपक को इस बारे में बताया तो वह हंसने लगा, " हर समय किताबी कीड़ा बना रहता है इसलिए तेरा दिमाग खराब हो गया है। तभी कहता हूं मेरे साथ थोड़ा बाहर चला कर और थोड़ी मस्ती कर लिया कर दिमाग शांत रहेगा।"
दीपक ने भले ही मेरी इस बात को हवा में उड़ा दिया पर मुझे एक अजीब सा वहम हो गया। मुझे पूरा यकीन था कि जिस समय मेरी आंख खुली उस समय कोई मेरे पास मौजूद था और मुझे उठा रहा था।
अगली रात में थोड़ा देर तक पढ़ाई करता रहा। फिर जब आंखों में नींद भर आई तो मैं जाकर सो गया। क्योंकि अगले दिन रविवार था इसलिए दीपक उस समय तक कमरे में आया ही नहीं था। वह अपने दोस्तों के साथ मौज मस्ती कर रहा था। मुझे ना चाहते हुए भी बिना दरवाज़े पर कुंडी लगाए सोना पड़ा।
रात गहरा गई थी । मैं बहुत गहरी नींद में था कि अचानक मुझे ऐसा लगा कि कोई मुझे ज़ोर ज़ोर से हिला रहा है और उठने को कह रहा है। मैं फिर से हड़बड़ा कर उठा।
मेरा पूरा शरीर पसीने से भीगा हुआ था। हाथ पैर कुछ मिनट के लिए सुन्न पड़ गए थे। तभी अचानक दरवाजा खुला और दीपक अंदर आया। मुझे उठा देख वह थोड़ा आश्चर्यचकित हो गया। फिर उसने मेरी हालत देखी और बोला," ओ! भाई! फिर से वही सपना देखा क्या? तुझे कितनी बार कहा है कि अपने दिमाग को थोड़ा सा आराम दिया कर। कहीं घूम फिर कर आया कर। पर तू मेरी बात मानता कहां है।"
" तू भी तो मेरी बात नहीं मान रहा । मैं कह रहा हूं ना कि कोई है जो मुझे आधी रात को उठाता है।" मैंने गुस्से से उसे देखते हुए कहा।
" अच्छा चल तेरी बात मान ली मैंने । कल से मैं तेरी जगह सोऊंगा और तू मेरी जगह। मुझे पता है कि तुझे इस खिड़की के पास सोना बहुत पसंद है। ठंडी हवा जो आती है यहां से! पर कुछ दिन के लिए एक्सपेरिमेंट करते हैं। ऐसा करने पर ही तेरा शक दूर हो पाएगा। बोल, मंजूर है!"
मैंने कुछ देर सोचा और फिर इस एक्सपेरिमेंट के लिए हां कर दी। मुझे भी ऐसा लगा कि शायद इस जगह में ही कोई समस्या हो।
अगले दिन दीपक मेरी जगह पर सो गया । सुबह हुई और वह अंगड़ाई लेते हुए उठा और हंसते हुए मुझे देखा और बोला," ले भाई! मैं तो यहां बहुत आराम से सोया। मुझे तो किसी ने नहीं उठाया। अब तू खुद ही समझ ले कि यह सब तेरा वहम था या फिर तुझे कोई बुरा सपना आता है।"
मुझे भी लगने लगा कि दीपक की बात सच है। यह शायद मेरा वहम ही होगा या फिर सच में मुझे कोई बुरा सपना आता है। फिर भी हमने तय किया कि दीपक अभी कुछ दिन और मेरे बिस्तर पर सो कर देखेगा।
तीन-चार दिन बीत गए। दीपक बहुत आराम से वहां सोता था। उसे तो जैसे वह जगह ज्यादा अच्छी लगने लगी थी।
एक रात में बाथरूम करने के लिए उठा तो मैंने देखा कि दीपक उठकर दरवाजा खोल बाहर जा रहा है। मुझे उसकी यह हरकत कुछ अजीब लगी । क्योंकि जहां तक मैं दीपक को जानता हूं वह एक बार सोता है तो फिर सुबह ही उठता है। उसकी नींद बहुत गहरी होती है।
मैंने कुछ सोचा और फिर दीपक का पीछा करना शुरू किया। मैं उसके पीछे पीछे चलने लगा। देखते ही देखते वह शमशान के दरवाजे के पास आकर रुक गया। मैं हैरान हो गया कि वह यहां क्यों आया है? इससे पहले कि मैं उसे आवाज़ देकर रोक पाता वह दरवाजा अपने आप खुल गया और दीपक अंदर चला गया। दीपक की चाल ढाल से प्रतीत हो रहा था कि वह सब कुछ नींद में कर रहा है।
मैं अंदर घुस पाता इससे पहले शमशान का गेट बंद हो गया । अब मुझे बाहर खड़े होकर ही दीपक का इंतज़ार करना था। पर बिना यह जाने कि अंदर क्या हो रहा है मुझे चैन नहीं पड़ रहा था। कहीं ऐसा ना हो कि दीपक किसी मुसीबत में फंस जाए। मैं शमशान के पीछे वाली दीवार की तरफ बढ़ा क्योंकि वह ऊंचाई में छोटी थी। वहां पहुंचकर मैंने कुछ बड़े-बड़े पत्थर रखे और उनके सहारे दीवार पर चढ़ गया।
इससे पहले कि मैं अंदर कूदता मुझे एक ऐसा मंज़र दिखाई दिया कि मैं हैरान रह गया। मैंने वहां बहुत सारे अजीब से दिखने वाले लोग देखे। वह सब लोग दिखने में बहुत विशालकाय थे । उनके शरीर हम आम इंसानों के शरीर से बहुत ही अलग थे। उनका रंग बिल्कुल काला था।
उन्होंने अपने गले में बहुत अजीब सी माला डाल रखी थीं। जब मैंने उन्हें गौर से देखा तो उन मालाओं में छोटी-छोटी कंकाल की खोपड़ियां थीं। उन्हें देखकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए। वह लोग जितने भयानक थे उससे भी ज्यादा भयानक वहां का मंज़र था। शमशान के बीचों बीच आग जल रही थी और उस आग के चारों तरफ यह अजीब से दिखने वाले विशालकाय भयानक लोग मस्ती में नाच रहे थे। इन सब का शरीर हम आदमियों के शरीर से बहुत ज़्यादा शक्तिशाली दिख रहा था। सबके काले लंबे बाल थे जो कि खुले हुए थे। और सब के माथे पर एक अजीब सा निशान बना हुआ था। जब मैंने उस निशान को देखा तब मुझे कुछ स्मरण हुआ। ऐसा ही एक निशान मैंने एक किताब पढ़ते वक्त देखा था। वह किताब शैतानी आत्माओं पर थी। अब मुझे यह समझते देर नहीं लगी कि यह लोग आम इंसान नहीं थे। यह सब शैतान थे और मेरा दोस्त दीपक उस समय शैतानों की दुनिया में पहुंच गया था।
दीपक वहां जाकर एक पत्थर पर चुपचाप बैठ गया। तभी एक बहुत ही विशालकाय शैतान अपनी जगह से उठ खड़ा हुआ। उसके उठते ही बाकी सारे शैतान नतमस्तक हो चुपचाप खड़े हो गए। वह उन सब शैतानों का लीडर लग रहा था और उन सब से ज्यादा खूंखार और भयानक दिख रहा था। वह शैतान दीपक के पास आकर खड़ा हो गया और एक अजीब से दिखने वाले बर्तन में उसने कुछ पीने का पदार्थ दीपक की तरफ बढ़ाया। मैं वहां जाकर दीपक को वह पदार्थ पीने से रोकना चाहता था पर मेरी हिम्मत नहीं हुई। क्योंकि मुझे पता था कि यदि मैं वहां जाता तो वह या तो मुझे मार डालते या मेरे साथ भी वही करते जो दीपक के साथ होने वाला था। दीपक ने वह पदार्थ पी लिया। उसके वह पदार्थ पीते ही सब शैतान ज़ोर - ज़ोर से जय-जयकार करने लगे। सब एक अजीब तरीके का नृत्य कर रहे थे। तभी वहां कुछ जानवरों को लाया गया और उन्हें एक बहुत बड़े से पत्थर के ऊपर रख दिया गया। देखने में वह जानवर मरे हुए प्रतीत हो रहे थे। फिर कुछ शैतान आगे आए और उन जानवरों पर कुछ अजीब सी विधियां करने लगे।। ऐसा लग रहा था जैसे उन जानवरों को बलि के लिए तैयार किया जा रहा हो।
कुछ समय पश्चात जब उनकी विधि संपन्न हुई तब उनमें से एक खूंखार से दिखने वाले दानव जैसे शैतान ने एक बहुत बड़ा सा खंजर निकाला और उन जानवरों को काट दिया। यह दृश्य देख मैंने अपनी आंखें बंद कर लीं। मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरे हाथ पैरों में जान ही नहीं रही और मैं अभी बेहोश हो गिर पड़ूंगा। मेरा मन हुआ कि मैं वहां से चुपचाप चला जाऊं पर मैं दीपक को ऐसे नहीं छोड़ सकता था। मैंने घड़ी देखी। 4:00 बजने में बस कुछ ही समय बाकी था। मैंने यह कहीं पढ़ा था कि आधी रात को शैतानी शक्तियां सबसे ज्यादा ताकतवर होती हैं पर 4:00 बजे के बाद देवताओं का पेहर शुरू हो जाता है और सारी शैतानी ताकतें गायब हो जाती हैं। मैं उसी वक्त का इंतजार कर रहा था।
जानवरों को काटने के बाद वहां उपस्थित सभी शैतानों ने पहले उन जानवरों के एक भाग को काटकर अपने नेता को भोग लगाया । और बाद में सब ने बांट कर उसको खा लिया। अब सब बहुत अजीब सा पदार्थ पीकर मस्ती में झूम रहे थे। दीपक चुपचाप बैठा यह सब देख रहा था। धीरे धीरे वहां की शैतानी शक्तियां कम होने लगी और वह शैतान गायब होने लगे। जैसे ही सब शैतान वहां से गायब हुए दीपक उठा और उसी अवस्था में शमशान के गेट से बाहर निकल हॉस्टल की तरफ बढ़ने लगा । मैं भी उसके पीछे - पीछे चल दिया।
अगले दिन सुबह दीपक बहुत देर तक सोता रहा। मैं उसे छोड़कर जाना नहीं चाहता था इसलिए मैंने भी वहीं रुक कर उसके उठने का इंतजार किया। जब वह उठा तो मुझे देख हैरान हो गया, " तू यहां क्यों बैठा है? और मुझे जगाया क्यों नहीं ?आज मेरा बहुत इंपॉर्टेंट लेक्चर था! "
"तू ठीक है ना मेरे भाई? तुझे कुछ तकलीफ तो नहीं हो रही ? तुझे अजीब तो महसूस नहीं हो रहा? तुझे उबकाई तो नहीं आ रही?" मैंने थोड़ा डरते हुए पूछा।
दीपक मुझे बहुत ही अजीब निगाहों से देख रहा था। शायद मुझे पागल समझ रहा था," मुझे तो लग रहा है कि तेरी तबीयत कुछ खराब है! यह कैसे सवाल कर रहा है तू? अरे ! थोड़ी ज़्यादा नींद आ गई और क्या। और मुझे उबकाई क्यों आएगी?" यह सब कह कर वह उठकर नहाने चला गया और मैं उसे हैरान-परेशान देखता रहा।
काफी दिनों तक मैं उसे करीब से देखता रहा। उसके अंदर आ रहे बदलाव को महसूस करता रहा। दीपक हालांकि थोड़ा मौज मस्ती करने वाला लड़का था। किंतु उसने कभी शराब और सिगरेट को हाथ भी नहीं लगाया था। पर मैंने देखा कि अब वह छुप-छुपकर सिगरेट पीता था। और कभी-कभी कॉलेज के बाहर जा अपने कुछ दोस्तों के साथ शराब भी पी कर आता था। पढ़ाई में दीपक कभी अव्वल तो नहीं आता था पर वह फिसड्डी भी नहीं था। पर अब वह पढ़ाई से दिल चुराने लगा था। अब वह सारा दिन कुछ आवारा लड़कों के साथ कॉलेज के बाहर ही घूमता रहता था। वैसे दीपक की कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी पर अब उसके इर्द-गिर्द अजीब सी लड़कियां मंडराती रहती थीं।
उन लड़कियों को भी शायद पढ़ाई में कोई दिलचस्पी नहीं थी।
कुछ समय बाद मैंने अपना वह कमरा वॉडर्न से कहकर बदलवा लिया। दीपक ने भी वह कमरा छोड़ दिया। या यूं कहूं कि हॉस्टल ही छोड़ दिया । अब वह अपने उन आवारा दोस्तों के साथ कॉलेज से बाहर किसी और जगह रहने लगा। मेरा दीपक से संपर्क टूट गया।
अब सवाल यह उठता है कि आखिर दीपक में यह बदलाव क्यों आया? उस दिन दीपक ने उन शैतानों की दुनिया में कदम रखा था और उसके बाद से उसके मन में भी शैतानी प्रवृतियां जागृत हो गई। हमारी दुनिया में दो किस्म के इंसान होते हैं। कुछ जो अपने उसूलों अपने आदर्शों के पक्के होते हैं ।और कोई भी गलत काम ना करते हैं और ना करने देते हैं। पर कुछ ऐसे भी इंसान होते हैं जो किसी का बुरा करके अपना भला करने से पीछे नहीं हटते। जो हर वह प्रवृत्ति अपनाते हैं जो शैतानों की होती है। दीपक का मन पहले से ही भटका हुआ था। उस रात वह उन ताकतों के आगे झुक गया और उसका भटका हुआ मन उठ कर उनके पीछे चल पड़ा। हम इंसानों में अच्छाई और बुराई दोनों प्रवृतियां होती हैं। यह हमारे मन के दृढ़ संकल्प पर निर्भर करता है कि हम अपनी किस प्रवृत्ति को उजागर रखना चाहते हैं। जो लोग कमज़ोर पड़ जाते हैं और अपने संकल्प को दृढ़ नहीं रख पाते हैं वह बुराई का रास्ता अपना लेते हैं। उस दिन दीपक भी कमजोर पड़ गया और उसने बुराई का रास्ता अपना लिया।
शैतानी ताकत हम इंसानों को कमज़ोर बनाकर अपने शैतानी प्रवृत्तियों को हमारे अंदर प्रवेश कराने में लगी रहती हैं। यह हम इंसानों पर निर्भर करता है कि हम अपने मन को सच्चा रखें और अपने संकल्प को दृढ़ रखें। जिससे कोई भी शैतानी ताकत हम पर किसी भी प्रकार का हमला ना कर सके। और यदि वह ऐसा करने का प्रयास करें तो हमारे सच्चे मन के आगे उसकी ताकत कमजोर पड़ जाए।
समाप्त 🙏
आस्था सिंघल
#शॉर्ट स्टोरी चैलेंज
Shnaya
02-Jun-2022 05:00 PM
👏👌
Reply
Punam verma
21-Apr-2022 10:22 AM
Very nice
Reply
Renu
20-Apr-2022 04:44 PM
Nice
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